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अखरोट (Walnut) के आयुर्वेदिक व औषधीय गुण
अखरोट हमारे जीवन में फल होने के साथ साथ औषधी
का काम भी करता है अखरोट का रंग भूरा होता है। व इसका स्वाद फीका, मधुर, और
स्वादिष्ट होता है। अखरोट का सेवन ब्रैस्ट कैंसर, कोलोन
कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर से बचाव करता है। अखरोट को ब्रेन फूड भी कहा जाता है।
अखरोट में कई तरह के यौगिक मौजूद होते हैं जैसे मेलाटोनिन, विटामिन
ई, कैरोटिनायड जो हमारे स्वास्थ्य को सही रखने में
मदद करते हैं। ये यौगिक कैंसर, बुढ़ापे, सूजन
और मस्तिष्क से संबंधित बीमारियों से बचाते हैं। अखरोट में प्रचुर मात्रा में
विटामिन ई मौजूद होता है। विटामिन ई शरीर को हानिकारक ऑक्सीजन से सुरक्षा देता है।
विटामिन ई के अलावा इसमें और भी जरूरी विटामिन मौजूद होते हैं जैसे विटामिन बी
कांप्लैक्स समूह के शीबोफ्लैविन, नियासिन, थाइमिन, पेंटोथेनिक
एसिड, विटामिन बी 6 और
फोलेट्स।
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अखरोट (Walnut) |
अखरोट गिरी में लगभग
65% फैट , 14% कार्बोहाइड्रेट
, 15% प्रोटीन तथा 11% फाइबर और पानी
होते है। फैट की अधिक मात्रा के कारण इससे
अधिक केलोरी मिलती है , लेकिन खास बात यह है की फिर भी यह मोटापा नहीं बढ़ाता। अखरोट में पाये जाने वाले पोषक तत्व सभी मेवों से
अधिक लाभदायक सिद्ध हो सकते है। इसमें ओमेगा -3 तथा ओमेगा -6 फैट्स प्रचुर मात्रा में होते है जो दिल के लिए बहुत
अच्छे माने जाते है।
इनकी इतनी मात्रा
गिनी चुनी चीजों से ही मिलती है। दूसरे सभी मेवों में मोनो अनसैचुरेटेड फैटी एसिड
होते है जबकि अखरोट में पॉली अनसैचुरेटेड फैटी
एसिड अधिक मात्रा में होते है।
अखरोट में कॉपर , मैगनीज , मैग्नीशियम , पोटेशियम
, फास्फोरस , बायोटिन , विटामिन B 6 , विटामिन E , विटामिन C , विटामिन
A , विटामिन K तथा आयरन भी
पर्याप्त मात्रा में होते है।
Akhrot
की गिरी पर गहरे भूरे रंग का बिल्कुल पतला छिलका होता है। इसे
निकालना नहीं चाहिए क्योंकि इस हिस्से में सर्वाधिक एंटीओक्सीडेंट जैसे
फेनोलिक एसिड, टेनिन्स और फ्लेवोनोइड्स आदि होते है। जो बहुत फायदेमंद होते है।
विभिन्न भाषाओं में नाम :-
संस्कृत शैलभव, अक्षोर, कर्पपाल
अक्षोट, अक्षोड, हिंदी अखरोट, बंगाली
आक्र, मलयालम अक्रोड, मराठी
अखरोड, अक्राड़, तेलगू
अक्षोलमु, गुजराती आखोड, फारसी
चर्तिगज, गौज, चारमग्न, गिर्दगां, अरबी
जौज, अंग्रेजी वलनट, लैटिन
जगलंस रेगिया
अखरोट के औषधीय प्रयोग :-
परिचय :अखरोट के पेड़ बहुत सुन्दर और सुगन्धित
होते हैं, इसकी दो जातियां पाई जाती हैं। जंगली अखरोट 100 से 200 फीट तक
ऊंचे, अपने आप उगते हैं। इसके फल का छिलका मोटा होता
है। कृषिजन्य 40 से 90 फुट तक
ऊंचा होता है और इसके फलों का छिलका पतला होता है। इसे कागजी अखरोट कहते हैं। इससे
बन्दूकों के कुन्दे बनाये जाते हैं।
स्वरूप : पर्वतीय
देशों में होने वाले पीलू को ही अखरोट कहते हैं। इसका नाम कर्पपाल भी है। इसके पेड़
अफगानिस्तान में बहुत होते हैं तथा फूल सफेद रंग के छोटे-छोटे और गुच्छेदार होते
हैं। पत्ते गोल लम्बे और कुछ मोटे होते हैं तथा फल गोल-गोल मैनफल के समान परन्तु
अत्यंत कड़े छिलके वाले होते हैं। इसकी मींगी मीठी बादाम के समान पुष्टकारक और
मजेदार होती है।
स्वभाव : अखरोट
गरम व खुष्क प्रकृति का होता है।
हानिकारक : अखरोट
पित्त प्रकृति वालों के लिए हानिकारक होता है।
दोषों को दूर करने वाला : अनार
का पानी अखरोट के दोषों को दूर करता है।
तुलना : अखरोट
की तुलना चिलगोजा और चिरौंजी से की जा सकती है। मात्रा : अखरोट का सेवन 10 ग्राम
से 20 ग्राम तक की मात्रा में कर सकते हैं।
अखरोट के गुण :- अखरोट बहुत ही बलवर्धक है, हृदय
को कोमल करता है, हृदय और मस्तिष्क को पुष्ट करके उत्साही बनाता
है इसकी भुनी हुई गिरी सर्दी से उत्पन्न खांसी में लाभदायक है। यह वात, पित्त, टी.बी., हृदय
रोग, रुधिर दोष वात, रक्त
और जलन को नाश करता है।
ऊर्जा का स्रोत:- अखरोट ऊर्जा का बेहतर स्रोत है। साथ ही इसमें
शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्व, मिनरल्स, एंटीआक्सीडैंट्स
और विटामिन्स प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं। अखरोट का तेल कई रूपों में काम
में लिया जाता है। इसका तेल खाना बनाने के अलावा दवाइयों और खुशबू के लिए भी
इस्तेमाल किया जाता है।
ओमेगा-3:- अखरोट में मोनोसैचुरेटिड फैट्स भरपूर मात्रा में
पाए जाते हैं। इसमें ओमेगा-3 फैटी
एसिड्स जैसे सिनोलिक एसिड, अल्फा फिनोलिक एसिड और एराकिडोनिक एसिड भी काफी
मात्रा में मिलते हैं। अखरोट का नियमित सेवन खून में बुरे कोलेस्ट्रोल को कम कर
अच्छे कोलेस्ट्रोल को बढ़ाता है। हर दिन 25 ग्राम
अखरोट के सेवन से 90 फीसदी ओमेगा-3 फैटी
एसिड्स भी मिलते हैं। इससे रक्तचाप, कोरोनरी
आर्टरी डिजीज और स्ट्रोक का खतरा कम होता है।
अखरोट में मिनरल्स:- अखरोट मिनरल्स का भी बेहतरीन स्रोत माना जाता
है। जैसे मैंगनीज , कॉपर, पोटाशियम, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, जिंक
और सेलेनियम।प्रतिदिन मुट्ठी भर अखरोट आपके शरीर को मिनरल्स, विटामिन्स
और प्रोटीन्स प्रदान करते हैं।अखरोट के तेल में बेहतरीन खुशबू होती है। यह तेल
त्वचा के सूखेपन को दूर करता है।
वीर्य को ताकत – Power to semen
तेज दिमाग – Brain sharp
उम्र के प्रभाव कम – Ageing
वीर्य को ताकत – Power to semen
अखरोट में वीर्य को मजबूत बनाने के गुण होते
है। यह वीर्य में शुक्राणु की संख्या , शुक्राणु की आयु , गतिशीलता तथा कार्यविधि में वृद्धि कर सकता है। गर्भाधान के लिए इन
तीनो गुणवत्ताओं का सही होना आवश्यक होता है।
यदि गर्भधारण नहीं होने का कारण
वीर्य या शुक्राणु की कमजोरी हो तो Akhrot के सेवन से लाभ मिल सकता है। अखरोट यौन शक्ति की कमजोरी भी दूर करता है।
तेज दिमाग – Brain sharp
अखरोट खाने से दिमाग की शक्ति बढ़ती
है। इसमें मौजूद विटामिन E
, फोलेट , ओमेगा -3 फैट्स , तथा एंटीऑक्सीडेंट
मस्तिष्क को शक्तिशाली बनाने में मददगार होते है।
अतः दिमागी काम करने
वालों के लिए अखरोट एक अच्छा टॉनिक साबित हो सकता है।Akhrot के विटामिन और खनिज तत्व उम्र के साथ होने वाली दिमागी कमजोरी को भी दूर रखते है।
उम्र के प्रभाव कम – Ageing
शरीर में फ्री
रेडिकल्स के कारण उम्र बढ़ने के कारण कई बदलाव नजर आने लगते है। जैसे त्वचा पर झुर्रियां , पाचन की
कमजोरी , आँखों की रौशनी में कमी , हड्डी की कमजोरी आदि। इसके अलावा भी कई प्रकार की शारीरिक समस्याएं हो सकती है। लीवर पर भी
प्रभाव पड़ता है जो शरीर की कई महत्त्वपूर्ण कार्य
विधि का केंद्र है।
इन उम्र के प्रभावों को कम करने में एंटीऑक्सीडेंट महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। Akhrot में पाये जाने वाले विशेष प्रकार के ताकतवर
एंटीऑक्सीडेंट उम्र के साथ होने वाले नुकसान से बचाने में सक्षम होते है। अतः
नियमित रूप से अखरोट का सेवन जवान बनाये रखने में मदद कर सकता है।
वैज्ञानिक परीक्षण :-
विज्ञान की एक पत्रिका में छपे एक अध्ययन में
दावा किया गया है कि रोजाना दो मुट्ठी अखरोट खाने से पुरुषों में शुक्राणुओं की
गुणवत्ता में बढ़ोत्तरी होती है. अध्ययन के दौरान जिन पुरुषों को 12 हफ्ते
तक लगातार अखरोट खाने को दिया गया, उनके
शुक्राणुओं का आकार, गति और उसकी आयु में वृद्धि देखी गई. ऐसा माना जा रहा है कि अखरोट में पाया जाने वाला वसीय अम्ल
शुक्राणुओं के विकास में सहायक होता है. हालांकि ये नहीं पता चला है कि क्या इससे
पुरुषों की प्रजनन दर में भी बढ़ोत्तरी होती है या नहीं. प्रत्येक छह में से एक दंपति को गर्भधारण करने में समस्या आती है
और ऐसा माना जा रहा है कि इसमें 40 प्रतिशत
मामले पुरुषों के शुक्राणु के कारण आते हैं.
शेफील्ड विश्वविद्यालय के एंड्रोलॉजी विभाग के वरिष्ठ प्रवक्ता डॉक्टर एलेन पेसी कहते हैं, फिलहाल इस तरह की बातों को मजाक में टाला जा सकता है, लेकिन इस बात के प्रमाण लगातार बढ़ रहे हैं कि समुचित पोषण के जरिए पुरुषों के शुक्राणुओं की गुणवत्ता में बढ़ोत्तरी होती है. शोधकर्ताओं का कहना है कि इस बारे में अगला कदम उन दंपतियों पर काम करना होगा जो इस बारे में क्लीनिकों का चक्कर लगाते हैं. पहले ये माना जाता था कि पुरुषों में नपुंसकता की वजह शुक्राणुओं की कमी या फिर उनकी कमजोर गति या आकार-प्रकार है. इस अध्ययन के तहत 21 से 35 साल के बीच 117 लोगों पर प्रयोग किया गया जिन्हें दो वर्गों में बाँटा गया. एक समूह को हर दिन 75 ग्राम अखरोट दिया गया. जबकि दूसरे वर्ग को सामान्य पोषण दिया गया. शोध परियोजना के प्रमुख प्रोफेसर वेंडी रॉबिन्स का कहना है कि अध्ययन में शामिल सभी 117 लोग धूम्रपान नहीं करने वाले स्वस्थ युवा थे. उन्होंने बताया, पहले हमें पता नहीं था कि अखरोट का प्रजनन क्षमता पर अच्छा असर होगा या नहीं लेकिन अध्ययन के बाद परिणाम सकारात्मक आए हैं.उन्होंने बताया कि जिन पुरुषों ने अखरोट का सेवन नहीं किया उनमें कोई परिवर्तन नहीं हुआ. इसके अलावा शोधकर्ताओं ने पुरुषों के शुक्राणुओं के तैरने की क्षमता और आनुवंशिक गुणों के बारे में भी अध्ययन किया. उन्होंने पाया कि अखरोट नहीं खाने वालों के मुकाबले खाने वालों के शुक्राणुओं की तैरने की गति में औसतन तीन प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. एक और अध्ययन में माना गया है कि हफ्ते में मात्र तीन बार एक मुट्ठी अखरोट खाना लंबे जीवन की कुंजी है. लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि इसे बतौर इलाज अपनाए जाने से पहले अभी और परीक्षणों की जरूरत है.
शेफील्ड विश्वविद्यालय के एंड्रोलॉजी विभाग के वरिष्ठ प्रवक्ता डॉक्टर एलेन पेसी कहते हैं, फिलहाल इस तरह की बातों को मजाक में टाला जा सकता है, लेकिन इस बात के प्रमाण लगातार बढ़ रहे हैं कि समुचित पोषण के जरिए पुरुषों के शुक्राणुओं की गुणवत्ता में बढ़ोत्तरी होती है. शोधकर्ताओं का कहना है कि इस बारे में अगला कदम उन दंपतियों पर काम करना होगा जो इस बारे में क्लीनिकों का चक्कर लगाते हैं. पहले ये माना जाता था कि पुरुषों में नपुंसकता की वजह शुक्राणुओं की कमी या फिर उनकी कमजोर गति या आकार-प्रकार है. इस अध्ययन के तहत 21 से 35 साल के बीच 117 लोगों पर प्रयोग किया गया जिन्हें दो वर्गों में बाँटा गया. एक समूह को हर दिन 75 ग्राम अखरोट दिया गया. जबकि दूसरे वर्ग को सामान्य पोषण दिया गया. शोध परियोजना के प्रमुख प्रोफेसर वेंडी रॉबिन्स का कहना है कि अध्ययन में शामिल सभी 117 लोग धूम्रपान नहीं करने वाले स्वस्थ युवा थे. उन्होंने बताया, पहले हमें पता नहीं था कि अखरोट का प्रजनन क्षमता पर अच्छा असर होगा या नहीं लेकिन अध्ययन के बाद परिणाम सकारात्मक आए हैं.उन्होंने बताया कि जिन पुरुषों ने अखरोट का सेवन नहीं किया उनमें कोई परिवर्तन नहीं हुआ. इसके अलावा शोधकर्ताओं ने पुरुषों के शुक्राणुओं के तैरने की क्षमता और आनुवंशिक गुणों के बारे में भी अध्ययन किया. उन्होंने पाया कि अखरोट नहीं खाने वालों के मुकाबले खाने वालों के शुक्राणुओं की तैरने की गति में औसतन तीन प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. एक और अध्ययन में माना गया है कि हफ्ते में मात्र तीन बार एक मुट्ठी अखरोट खाना लंबे जीवन की कुंजी है. लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि इसे बतौर इलाज अपनाए जाने से पहले अभी और परीक्षणों की जरूरत है.
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